WRITTEN BY D.K VASAL–वासल देवेन्द्र
मर्ज़ी का ख़ुदा
हम ढूंढते हैं ,खुदा ऐसा,
जो करे वैसा ,हम चाहें जैसा।
ना करे कबूल ,दुआ जो,
वो ख़ुदा ,बदल देते।
ना माने ,फिर भी जो,
तो ख़ुदा ही ,भुला देते।
चाहते हैं ,करे हर कोई ,
दुआ हमारी ,अपने खुदा को।
पर मानते , नहीं फिर भी,
हम उसके ,खुदा को ।
लेते हैं ,इम्तिहान बहुत,
हम हर ,किसी खुदा के।
सोचता है ,वासल देवेन्द्र,
हों जैसे ,हम ख़ुद।
ख़ुदा उस ,ख़ुदा के।
रहते हैं ,डरे हरदम,
कुछ खोने ,के डर से।
रखते हैं ,चौकीदार हम,
अपने ,सामान के।
नही रखा ,खुदा ने,
चौकीदार ,कोई।
इतने बड़े ,जहां में,
सिकन्दर ,भी ना।
ले जा सका ,कुछ उसके जहां से।
रोता है इन्सान ,होने पर बर्बाद,
रोता है आंसू ,खून के।
निकले जो ,औलाद खराब,
ऱोता कितना ,होगा खुदा,
देख, हम ,जैसी औलाद।
सोचता होगा ,हर पल,
कहां हुई भूल ,बनाने में इन्सान।
ना दया ना धर्म ,ना रहम कोई,
न करनी पर ,अपनी पश्चाताप कोई।
करता है जमा ,बहुत,
भर के ,पेट अपना।
नही लेता ,पशु से भी,
नसीहत ,कोई।
मांगता है ,खुदा से,
खोल कर ,दोनों हाथ।
बांटता है ,ज़रा सा,
करके ,छोटा हाथ।
मिल जाए ,अग़र जो चाहा,
तो करें मेहनत ,पर अभिमान।
और ना मिले , अग़र,
तो निर्दयी ,बड़ा भगवान।
करे अगर ,कोई गलती,
हैं सज़ा ,हम देते।
कंजूस हैं ,हम इतने,
नही माफी ,भी हम देते।
हो गलती ,अगर हमारी,
दोष दूसरे ,को देते।
ना सुने ,अगर खुदा
तो खुदा ,ही बदल देते।
हर रोज़ ,नया ख़ुदा,
हैं ढूंढते ,हम रहते।
करे जो ऐसा ,हम चाहें जैसा,
ना करे कबूल ,दुआ जो।
वो ख़ुदा ,बदल देते,
ना माने ,फिर भी जो
तो ख़ुदा ही ,भुला देते।
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Very nice
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Thank you. May God bless you.
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Great
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Thank you very much. May God bless you.
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Very Truely described the nature of a human being. If any good thing happen, give credit to himself and if any wrong thing happens, then will say” PRABHU pta nahi kiska badla le raha hai” whereas it has happened bcoz of his faults
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Thank you May God bless you.
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ईश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पण की भावना को भुला कर, हम माया में फँसे लोग किस तरह आज अपनी कड़ी शर्त पर ईश्वर की आराधना करते हैं और शर्त अविलम्ब पूरा होते नहीं दिखने पर ईश्वर को ही भुला देते हैं। इस कविता के माध्यम से कवि ने, मानवीय मूल्यों की लगातार गिरावट पर, अपनी चिंता व्यक्त की है।
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