WRITTEN BY D K VASAL,
DEDICATED TO SOLDIERS.
SOLDIERS– सैनिक
वो सो गये कफ़न ओढ़ के,
हम सो गए मुंह मोड़ के,
थे लाडले वो भी, अपने परिवार के,
जो चले गये, सब छोड़ के।
वो बन बन के शव , हमें झंझोड़ते रहे,
हम शव हों जैसे, ऐसे सोते रहे।
देख सुबह अखबारों में, शहादत उनकी,
ले ले कर चुस्कियां, चाय पीते रहे।
पल दो पल में उनको भुलाते रहे,
अपने हर फर्ज़ को हम झुठलाते रहे।
उनकी शहादत को फर्ज़ बतलाते रहे,
उनके बलिदान को, इक खबर बनाते रहे।
ना मिट्टी को अपनी सराहा कभी,
ना वीरौं को अपने दुलारा कभी।
फुला करके सीना, झूठ कहते रहे,
है वतन ये हमारा, चिल्लाते रहे।
हर पल हम रंग बदलते रहे,
गिरगिट भी हमसे शर्माते रहे।
हम सुरक्षा से अपनी, धबराते रहे,
वो सीने पे गोली , खाते रहे।
वो शवों के ढेर, बनते गये,
हम ऊंचा घरों को, करते गये।
परिवार उनके सिसकियां भरते गये,
हम ठहाकों में, सब कुछ भुलाते गये।
क्या आती नही हमको लज्जा शर्म ???
अगर हां , तो वासल देवेन्द्र के संग।
मिलकर हम सब खाते हैं कसम,
मनाने से पहले, कोई भी त्योहार,
करेंगे नमन, उन शहीदों को हम।
है सबसे बड़ा, ये ही शगुन,
हो जाये आंख , हमारी भी नम।
इतना तो कर लें कम से कम,
पत्थर नहीं इन्सान है हम।
*****”
** GO DOWN FOR OTHER POEMS.
I like this poem which is on our BRAVE SOLDIERS. If we are living safely, happily
in our sweet homes bcoz of our JAWANS.
Nation n we should not forget their sacrifice
Big Salute To Them
LikeLike
Very nice .
LikeLike
Thank you
LikeLike
Superb poem
LikeLike
देश की रक्षा और हमारी सुख चैन की नींद को सुनिश्चित करते करते अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों के प्रति संवेदना और कृतज्ञता के भावों को हमारे हृदय के अंदर जगाने में यह कविता सफल प्रतीत होती है।
LikeLike
Thank you
LikeLike
Very good poem – an eyeopener for all of us.
LikeLike
Thank you
LikeLike
Very nice 💐💐
LikeLike
Thank you
LikeLike