WRITTEN BY D K VASAL–वासल देवेन्द्र
रिश्तों का सच
मैं सच कहता हूं,
हमेशां सच कहता हूं।
नहीं बोलता झूठ कभी,
हैं हर पल कहते हम सभी।
थामा मैंने जो एक बार,
नही छोड़ूंगा फिर वो हाथ।
मैं जीता हूं अपनों के लिए,
मरुंगा मैं अपनों के साथ।
थरथरा गया अब तो झूठ,
सच हो गया बिल्कुल स्तब्ध।
सुन कर ये हम सब के शब्द,
हां सुनकर ये हम सब के शब्द।
है सूरज की रोशनी सच,
है चांद की चांदनी सच।
धरती की सहनशीलता सच,
आकाश का अनन्त सच।
रात का अंधेरा सच,
दिन का फिर निकलना सच।
नही गवाह बड़ा कोई इनसे,
हैं सबसे बड़े गवाह ये सच,
है वासल देवेन्द्र का लिखा ये सच।
कब देखा इन सब ने किसी को,
मरते किसी को अपनों के साथ।
हां, था एक युग जब सती जली,
कहां पूछी थी मर्ज़ी उसकी।
मजबूत थे बहुत क्रूरता के हाथ,
कहां चाहती थी जलना वो भी,
यां मरना किसी के साथ।
है माया रची भगवान ने सच,
एक माया रची हम सब ने खुद।
कहां जान पाता है कोई,
हम सब के भीतर का सच।
हैं कहते हर रिश्ता अनमोल,
चतुराई से लेते हम तोल।
राम का नाम भी तोला हमने,
है सत्य राम, है सत्य राम।
दबी ज़ुबान में बोला हमने,
होने पर मृत्यु ही बोला हमने।
होती है हैरानी मुझको,
सोच कर वो सब शब्द।
थरथराया था झूठ जिससे,
और सच हुआ था स्तब्ध।
है बात नही बस बोल की,
है बात पूरे ही ढोंग की,
हम जोड़ते रहते हैं टूटे रिश्ते,
है ज़रुरत हर पल गोंद की।
गुज़रता नही है वक्त ज़्यादा,
हम भूल जाते हैं अपनों को।
साथ मरने की बात छोड़ो,
कहां करते याद हम अपनों को।
हैं जरूरत के रिश्ते सब,
नही मरता कोई किसी के संग।
तुम कुछ कर दो मेरा काम।
मैं कुछ कर दूं तुम्हारा काम,
चलो मिलकर हम सब देदें,
इन रिश्तों को कुछ तो नाम।
***
** GO DOWN FOR OTHER POEMS.
Very well articulated truth behind relationships
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👍👍Help them, help them, wipe off their tears.🙏🏻🙏🏻
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किश्तों में निभाएँ जाते हैं जो रिश्ते, उनका सच. Truthfulness, Honesty, Despair…well captured
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Thank you Ashish
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Vasal Sir, excellent poem reflecting on the selfishness behind all our so called relationships.
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Thank you Rajender for encouragement.
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Amazed at the combination of choice of words and philosophical meaning..Want more..keep going..
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Thank you very much
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Lovely poem Vasalji on the truth behind relations . Very few relations are genuine , most hv a reson behind them . Love yr thoughts , God bless and keep these poems coming .
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Thank you Wilson
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Thank you very much.
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मुखौटा ओढ़ कर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए बनाए रिश्तों की दुहाई देते न थकनेवाले हम अवसरवादी सांसारिक मनुष्यों की रिश्तों की पोल खोलने में सक्षम कविता हमें आत्मचिंतन करने के लिए विवस करती है!
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हौंसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद।
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Thank you very much
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