अधूरी कहानी . written by वासल देवेन्द्र..D.k.Vasal
अधूरी कहानी
कुदरत को जो करना है,
कुदरत वो करके रहती है।
एक मौज जो नाज़ुक कश्ती को,
तुफ़ान से बचा कर ले आये।
कुदरत ने तमाशा करना हो,
साहिल (किनारा) पे डूबो के रहती है।
हम हंस लें यां रों लें जितना भी,
कुदरत तो बहरी होती है।
लिखा खुद वासल देवेन्द्र ने,
अपनी कविता ख़ामोशी में।
कुदरत निशब्द हो कर भी,
इशारों से बयां करती है।
ख़ुदा नही बताता राज़ अपने,
हम जितना भी हंस लें यां रो लें।
हम कुछ नां करें यां कुछ भी कर लें,
कुदरत तो चलती रहती है।
हां शिकायत यकीनन है उससे,
कहते हैं हम कज़ा (मौत) जिसे।
आना ही था अगर उसको,
तो आती थोड़ा नियम से।
थोड़ी तो रखती हया(शर्म),
आने से पहले किसी घर में।
ले जाती उस बाप को पहले,
आया जो पहले इस जहां में।
मौत भी है कुदरत का हिस्सा,
वहां कहां सुनवाई होती है।
कुदरत ने जो करना हो,
कुदरत वो करके रहती है।
पूछा वासल देवेन्द्र ने,
खुदा कुछ तो राज़ बता अपने।
हकदार हैं हम जानने के,
क्या गलती हमारी थी,
और क्या मजबूरी तेरी थी।
बोला ख़ुदा ओ मेरे अज़ीज़(प्यारे),
नां कोई गलती तेरी थी।
नां मजबूरी मेरी थी,
आंसूओं से स्याही मिट गयी,
रह गई कहानी अधूरी थी।
पूछा मैंने ख़ुदा से,
क्या तू भी रोता है कभी।
भीगी आंखों से बोला ख़ुदा,
जैसे खो के अपना बच्चा।
तूं रोता है अभी,
हर पल खोता हूं मैं बच्चे,
हर पल रहती नम आंख मेरी।
कोई छोड़ आता मां बाप को,
किसे छोड़ जाते मां बाप।
पहले नां रखता था मैं दिल,
और नां रोता था कभी।
तुझ जैसे इन्सानों ने,
रच दी मेरी रचना नयी।
टपकते हुए आंसूओं से मेरे,
फैल गई स्याही मेरी थी।
बस इसीलिए बच्चे की तेरे,
रह गई कहानी अधूरी थी।
****
We can understand your pain but can’t do anything except to console you.Pray to God to give you and Shama enough strength to pass through this toughest time🙏🙏
LikeLike
Masterpiece 🙏🙏🙏
LikeLike