सांप –सीढ़ी.. Written by वासल देवेन्द्र..D.K.Vasal
(सांप — सीढ़ी)
जाने अंजाने ,ही सही,
खेलती है ,हर पीढ़ी।
खेल सांप ,सीढ़ी का,
चढ़ते हैं उपर ,तेज़ी से,
ले सहारा ,सीढ़ी का।
करते है नाज़ ,खुद पर,
जैसे हो हुनर ,इस पीढ़ी का।
खेलते हैं खेल ,पासे से,
दे नतीजा ,हाथ भाग्य के।
उछलते हैं ,आने पे छः,
भूल पक्ष(sides) ,पासे के छः।
हैं चढ़ता कोई ,2 से,
और गिरता फिर ,50 से।
हैं गिरता कोई ,97 से,
चढ़ कर पहले ,7 से।
नाचता है ,बहुत वो,
आने पर ,क्रमशः 3 छः।
हैं अंधा वो ,जोश में,
पहुंच गया ,99 पर,
आने पर ,क्रमशः 3 छः।
99 पर डसा ,फिर सांप ने,
पहुंचा दिया ,66 पर।
बिखर गया ,नाज़ सब,
जो था अपने ,हुनर पर।
ये बात नही ,घमंड की,
यां किसी ,अहंकार की।
नां ये पूजा ,पाठ की,
नां ईश्वर के ,नाम की।
नां किसी दान ,धर्म की,
नां करुणा के ,भाव की।
ये आदत है बस ,वक्त की,
नही रहता सबका ,अच्छा कभी।
वो दोस्त नही ,किसी का कभी
हो राजा यां ,रंक कोई।
कब बदल ले वो ,मिज़ाजअपना,
नही ,जान पाया कोई।
वासल देवेन्द्र की ,बात छोड़ो,
वक्त से हारा ,हर कोई।
होना था जब ,राज तिलक,
प्रभु राम को , हुआ बनवास तभी।
नही बता पाये ,मुनी वशिष्ठ भी,
प्रभु राम का ,भाग्य तभी।
मां सीता ने चाहा ,हरना स्वर्ण मृग,
रावण ने हर ली ,मां सीता तभी।
नहीं जानती थी ,द्रोपदी भी,
महंगी पड़ेगी उसे ,एक हंसी।
ये आदत है बस ,वक्त की,
नही रहता सब का ,अच्छा कभी।
पिलाना चाहता था ,पानी,
अपने बूढ़े मां-बाप ,को जबी।
नहीं जानता था ,श्रवण कुमार,
हो जायेगी उसकी ,मृत्यु तभी।
वक्त है ख़ुदा ,का पयादा,( in Urdu soldier in chess is called पयादा)
है चाल उसकी ,हर तरफ़।
नही समझ ,पाता कोई,
ऋषि हो यां ,मुनि कोई।
ये खेल नहीं ,सांप सीढ़ी का,
है रहस्य ये ,इस जीवन का।
है सीढ़ी हमारी ,भाग्य रेखा,
और सांप नाम है ,वक्त का।
जाने अंजाने ,ही सही,
खेलती है ,हर पीढ़ी।
खेल सांप ,सीढ़ी का,
करते हैं नाज़ ,खुद पर,
जैसे हो हुनर ,इस पीढ़ी का।
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Life sometimes seem like a game of Snakes and Ladders. Each day, you roll the dice and make your moves.
Well said!
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This is a wonderful poem . Everything truth. Very well explained in the poem. Our life just like a snake& ladder.
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Life is a game of snakes and ladder.Very well explained in the poem
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This must be your best written poem . Wonderful. All the relevant points confirmed in a very natural way. I wish youngsters read this poem . This can change the outlook of life.
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