ग़लत समय तुम आये कृष्णा.. Written by वासल देवेन्द्र.. D.K.Vasal
गलत समय तुम आये कृष्णा,
आना था तुम्हें कलियुग में।
तुमने चुना एक अर्जुन,
जो समझ नां पाया तुम्हारा ज्ञान।
हो गया वो पूरा ही विचलित,
एक अभिमन्यु के मरने से।
यहां हर घर में रहता है अर्जुन,
हर पल मरें अभिमन्यु यहां।
सम्भाल लिया तुमने अर्जुन को,
करने से आत्मघात वहां।
कौन सम्भाले यहां अर्जुन को,
कौन सुने फरियाद यहां।
तुमने देखी एक महाभारत,
है कलियुग में हर पल महाभारत।
हर पल लुटती है द्रोपदी यहां,
तुम गिन नही सकते कितने दुर्योधन,
हर गली में मिले दुशासन यहां।
तुम ग़लत समय में आये कृष्णा,
आना था तुम्हें कलियुग में।
सम्भाल नही पाते तुम भी,
इस कलियुग की महाभारत को।
यहां हर सुबह निकलता अर्जुन,
दो रोटी कमाने को।
अधर्मी यहां हैं फलते फूलते,
वही होता था जब तुम थे वहां।
राज भोगा दुर्योधन दुशासन ने ही,
बस अनाथ बच्चे और विधवा ही,
मिली युधिष्ठिर को प्रजा वहां।
100 गाली खाने पर शिशुपाल से,
तुम खो गये थे घीरज अपना।
बोले तब तुम बुआ कुन्ती से,
अब मैं नही छोड़ूंगा इसे।
निकाल कर अपना चक्र सुदर्शन,
फिर मार दिया तुमने उसे।
अगर आते तुम इस युग में,
हज़ार मिलते शिशुपाल यहां।
थक जाते तुम गिनते गिनते,
कितनी गाली और गिनती कहां।
ग़लत समय तुम आये कृष्णा,
आना था तुम्हें कलियुग में।
यहां नहीं मिलती राधा तुमको,
नां मिलते बलराम यहां।
यहां राधा नही ओड़ती चुनरी,
नां बाहुबली में राम यहां।
नां मिलते तुम्हें भीष्म वो,
हों वचनों के पक्के जो।
वचनों की तो बात कहां,
हर शपथ होती झूठी यहां।
तुमने देखा एक धृतराष्ट्र,
यहां चारों ओर सिर्फ धृतराष्ट्र।
वो धृतराष्ट्र था आंखों से अंधा,
यहां आंखों वाले हैं धृतराष्ट्र।
ग़लत समय तुम आये कृष्णा,
आना था तुम्हें कलियुग में।
शास्त्र कहता है तुम आओगे फिर अब,
इस बार कलगी अवतार में।
कब आओगे तुम ज़रा बता दो,
पूछता है वासल देवेन्द्र।
जब चलती होंगी सांसें मेरी,
यां निकल जायेंगे प्राण तब।
ग़लत समय तुम आये कृष्णा,
आना था तुम्हें कलियुग में।
***
A reasonable question. Never thought about this. Beautifully worded
LikeLike
WAH ! I had tears in my eyes.
LikeLike
A resonating point of view, stringed together in the best possible way
LikeLike