झूठी थी बचपन की कहानी… Written by…वासल देवेन्द्र D.k. Vasal.
दादी ने सुनाई थी जो कहानी,
झूठी थी वो बचपन की कहानी।
एक था राजा एक थी रानी,
दोनों मर गये खत्म कहानी।
वासल देवेन्द्र ने देखी और जानी,
वो बतलाता है वही कहानी।
एक था राजा एक थी रानी,
दोनों मिले शुरू हुई कहानी।
एक हुआ बेटा एक हुई कन्या,
राजा रानी जैसे हो गये धन्य ।
जीवन गुज़रा बड़ी कहानी,
श्रृतुयें थी अब आनी जानी।
एक ने कहा दूजे ने मानी,
ऐसे चलती रही कहानी।
गुज़रे दिन महीने और साल,
गूज़रा बचपन बढ़े हुये लाल,
पंख लगा जैसे उड़ गए साल।
एक उन्होंने बनाया घर,
सुन्दर उसमें बनाया मन्दिर,
हरि रहते उसके अन्दर।
राजा रहता ईश्वर के नाम,
करती रानी भी पूजा पाठ।
बच्चे भी जपते हरि का नाम,
हरा भरा रहता हरि का धाम।
फिर इक दिन आया ऐसा तुफ़ान,
छोड़ा उसने ज़हरीला बाण,
ले लिये उसने लाडले के प्राण।
राजा रानी ग़म में डूबे,
लगे पूछने खुदा से सवाल।
जिन्दगी तो है आनी जानी,
पर पूरी तो करता हमारी कहानी।
कुछ झिझका और फिर वो बोला,
मैंने लिखी ही ये अधूरी कहानी।
श्रृतुयें अब भी आती जाती,
राजा रोता रानी रोती।
अब फूल नहीं खिलते बगिया में,
नां भंवरे आते बगिया में।
अब नही आती कभी बहार,
सूना लगता सब संसार।
झूठी थी बचपन की कहानी,
एक था राजा एक थी रानी,
दोनों मर गये खत्म कहानी।
नां मरा राजा नां मरी रानी,
चला गया बस लाडला उनका,
अधूरी रह गई उनकी कहानी।
फिर याद आई नानी की कहानी,
थी तोते में राक्षस की जान।
मारना हो राक्षस को अगर तो,
ले लो तुम तोते की जान।
वो भी निकली झूठी कहानी,
मर गया तोता मरा नही राक्षस।
मरने पर तोते के भी,
नहीं निकली राक्षस की जान।
बुढ़ापे में आया समझ में मेरी
दादी झूठी नानी झूठी।
झूठी सब होती हैं कहानी,
हो तोते -राक्षस की कहानी।
यां हो राजा रानी की कहानी,
झूठी सब बचपन की कहानी।
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Very true and interesting.
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🙏
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Real life is just opp to folk stories. Life is full of surprises. Many human beings suffer a bad patch of life when every thing is going well
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