ये ज़रूरी तो नहीं…. Written by वासल देवेन्द्र..D.K.Vasal
ये ज़रूरी तो नहीं।
सम्भाल कर रखना,
ज़िन्दग़ी के हर लम्हें को।
हर अगले लम्हें में हो ज़िन्दग़ी,
ये जरूरी तो नही।
माना हर रात की,
होती है सुबह।
हर कोई देख पाये हर सुबह,
ये ज़रूरी तो नहीं।
हैं बहुत दर्द मेरे सीने में,
खुद़ा देखे मेरे हर दर्द को।
हर बार,
ये ज़रूरी तो नहीं।
मैं चाहूं जितना ख़ुदा को,
ख़ुदा भी चाहे उतना मुझको,
ये ज़रूरी तो नहीं।
जब रूठ जाये ख़ुदा मुझसे,
क्यों नां मैं भी रुठ जाऊं उससे।
मैं मनाऊं उसे हर बार,
ये ज़रूरी तो नहीं।
तुम ज़ख्म दो,
मुझे बार बार।
मैं मुस्कुराऊं हर बार,
ये ज़रूरी तो नहीं।
तुम पुकारो,
मुझे बार बार।
मैं ठहर जाऊं हर बार,
ये ज़रूरी तो नहीं।
घनें बादल जो,
आयें बार बार।
वो बादल बरसें हर बार,
ये ज़रूरी तो नहीं।
बूंदें जो गिरें बार बार,
वो सीप में दें मोती।
हर बार,
ये ज़रूरी तो नहीं।
गिरें ज़मीन पे बीज,
बार बार।
हर बीज पे खिले कली हर बार,
ये जरूरी तो नहीं।
माली सींचे बाग,
बार बार।
हर बाग में हो बहार हर बार,
ये ज़रूरी तो नहीं।
दीवाली तो आये,
बार बार,
हर किसी की हो दीवाली हर बार,
ये ज़रूरी तो नहीं।
होली तो आये,
बार बार,
उड़े होली में गुलाल हर बार,
ये ज़रूरी तो नहीं।
हर रात का सवेरा हो
बार बार,
वासल देवेन्द्र देखे वो सवेरा हर बार,
ये ज़रूरी तो नहीं।
मैं चाहूं जितना ख़ुदा को,
खुद़ा भी चाहे उतना मुझको,
ये ज़रूरी तो नहीं।
सम्भाल कर रखना,
ज़िन्दगी के हर लम्हें को।
हर अगले लम्हें में हो जिंदगी,
ये ज़रूरी तो नहीं।
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True. You never know what lies around the corner, unseen and unexpected….. 🙏🙏🙏
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