‘ ण ‘ ….. written by वासल देवेन्द्र…D.K.VASAL
‘ ण ‘
संस्कृत में ‘ण’ हिंदी में न,
ज़रा ध्यान से देखो समझो,
क्या कमाल का है ये ण।
ण बिना हैं कृष्ण अधूरे,
ण बिना अधूरे विष्णु,
ण बिना नां नारायण,
ण बिना नां कोई वैकुणठ।
ण बिना अधूरा ब्रम्हाणड,
ण बिना नां वेद उच्चारण,
ण बिना नां कोई कल्याण।
ण बिना नां कोई प्राणी,
ण बिन नां गुण अवगुण,
ण बिना नां कोई मरण,
ण बिना नां कृष्ण शरण।
ण बिना नां कोई पुण्य,
ण बिना नां कोई ब्राह्मण।
ण बिना नां कर्म काण्ड,
ण बिना नां आवागमण।
ण बिना नां श्रवण कुमार,
ण से निकले दशरथ प्राण।
ण बिना नां कोई हिरण,
ण बिना नां सीताहरण।
ण बिना नां रामायण,
ण बिना नां स्वरूपणखा।
ण बिना नां कोई लक्ष्मण,
ण बिना नां कोई आभूषण।
ण बिना नां सीता की चूड़ामणि,
ण बिना नां शबरी पे करुणा,
ण बिना नां रामबाण,
ण बिना नां रावण मरण।
ण बिना नां कोई रण,
ण बिना नां कुम्भकरण।
ण बिना नां कोई दण्ड,
ण बिना नां रावण घमणड
कहता है वासल देवेन्द्र,
ण के साथ जायेंगे प्राण,
ण बिना नां राम शरण।
ण बिना नां कोई गण,
ण बिना नां कोई गणेश,
ण बिना नां गणाधयक्ष।
ण बिना नां ब्रह्माचारीणी(मां पार्वती),
ण बिना नां शिव का नीला कण्ठ।
ण बिना नां कोई कर्ण,
ण बिना नां कर्ण कुण्डल।
ण बिना नां आचार्य द्रोण,
ण बिना नां पाण्डु पुत्र।
ण बिना नां कोई पाण्डव,
ण बिना नां एकलव्य दक्षिणा,
ण बिना नां अर्जुन निपुण।
ण बिना नां नारायणी,
ण बिना नां वैष्णवी।
कहता है वासल देवेन्द्र,
ण बिना नां कुछ अखण्ड,
ण बिना नां कुछ पूर्ण,
ण से ही जग क्षणभंगुर।
ण बिना नां सौरभमण्डल,
ण बिना नां उजली किरण।
ण बिना नां कोई पूर्णिमा,
ण की पूर्णिमा रात का गुण।
ण बिना नां वर्णमाला,
ण बिना नां कोई व्याकरण।
ण बिना नां टिप्पणी कोई,
ण बिना नां कोई वर्णन।
ण बिना नां रणनीति,
ण बिना नां कोई राणा।
शूरू करूं विष्णु से यां,
रुक जाऊं चाणक्य पे।
देखूं आचरण आज का मैं,
कहता है वासल देवेन्द्र,
ण बिना नही कुछ पूर्ण,
ण ही है सम्पूर्ण ब्रह्मांड,
ण से क्षणभंगुर ब्रह्मांड।
****””*
कमाल है आपकी लेखनी का.अति सुन्दर🙏🙏
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Jai Shri
Krishna
Best of Bests
Really very good discovery of this word founded by Devender Vasal, WELL DONE
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Wonderful analysis . Possible only if deep spiritual knowledge and put in poem form
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