रंग लाल।
बहुत गहरा है ये रंग,
नाम है इसका लाल रंग।
खून का भी है रंग लाल।
यूं ही नहीं सब कहते हम,
बेटे अपने को मेरा ‘ लाल’।
छिन जाये तो बहुत मलाल,
मलाल में भी छिपा है ‘ लाल ‘।
अग्नि में भस्म हो गया ‘ लाल ‘,
विकराल अग्नि का रंग भी लाल।
खुदा से गुस्सा तो आंखें लाल,
जन्म मरण में यम है दलाल।
दलाल में भी छिपा है लाल,
यम ने ले लिया मेरा ‘ लाल ‘ ।
सुहागन की चूड़ी भी लाल,
मांग में उसकी रंग है लाल।
माथे की बिंदिया भी लाल,
होठों की मुस्कान भी लाल,
मेहंदी का निकले रंग लाल।
लुट जाये जो सुहाग किसी का,
मांग से मिट जाता रंग लाल।
मिट जाती वो बिंदिया लाल,
छिन जाती मुस्कान वो लाल,
मेहंदी नां करती हाथ फिर लाल।
आंखों की है नींद भी लाल,
मेरे ज़ख्मों का रंग भी लाल।
हर सुबह होता सितारों का खून,
यूं ही नहीं होता आसमां लाल।
जा कर दूर मेरे लाल ने,
छीन लिया मेरा रंग लाल।
सफेद हो गया चेहरा मेरा,
दिखता था पहले जो लाल।
कुछ तो है तुझ में रंग लाल,
अस्थियां बांधे कपड़ा लाल।
अस्थियां रखें मटका जैसे लाल,
खून से गाड़ा है वो रंग,
जिसे कहते हम सब रंग वो लाल।
मां लक्ष्मी को पसंद रंग लाल,
हनुमान जी का प्रिय रंग लाल।
मां दुर्गा की चुनरी लाल,
प्रार्थना है मेरी तुझसे कृष्णा,
गोद में रखना मेरा ‘ लाल ‘।
गोद में रखना मेरा ‘ लाल ‘।
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