जज़्बात Written by वासल देवेन्द्र। D.K.VASAL
जज़्बात।
इमारतें ऊंची होती गई,
जज़्बात ज़मीन में दफ़न होते गए।
किसी भी मंज़िल से देखो तुम,
फासले कुछ नां कुछ बढ़ते गये।
कसूर नां ईमारत का है,
नां ईंट और पत्थर का।
हम ईंट पत्थर में इतना उलझ गए,
कि हमारे दिल ही पत्थर में बदल गये।
हर लगती हुई ईंट ने,
दीवार बना दी।
उस मासूम को क्या पता था।
कि उसने मजबूत रिश्तों की,
दीवार गिरा दी।
फासले अगर फासलों से बढ़ते,
तो ग़म नां था।
फासले जब दिल से बढ़े,
तो ग़म कम नां था।
कोई ग़ैर जो आता रिश्तों में,
तो ग़म नां था।
ये बेज़ुबान बेजान पत्थर जो आये,
तो ग़म कम नां था।
ईंट पत्थर के मकान तो हैं,
अब सब के पास।
कहता है वासल देवेन्द्र,
जिसे कहते थे हम घर,
वो नज़र नहीं आते।
बिना बुलाए जो दोस्त,
घर में घुस आते थे।
अब बुलाने पर भी,
वो दोस्त नहीं आते।
वो जो नाम से ज़्यादा,
गाली दे कर बुलाते थे।
अब दुआ सलाम को भी
नहीं आते।
बस दूर से हिला देते हैं,
हाथ अपना।
गिला शिकवा करने भी
नहीं आते।
यूं फासले दिलों के बड़ गये,
खोल कर दिल।
जो सब कुछ बता देते थे,
अब दबी ज़ुबान में भी,
कहने से डरते हैं।
नां मिले एक रोज़ जो दोस्त,
तो नाराज़गी लबों पर रखते थे।
कहीं मिल नां जाये वो दोस्त हर रोज़
अब रास्ते बदल कर चलते हैं।
मन बहुत जल्द भर जाता है,
रिश्तों से अब।
बच गया है जो कुछ भी,
है मजबूरी का सब।
मन से मुंशी हो गया है हर कोई,
अपने से ज्यादा।
दूसरे की दौलत का,
हिसाब रखता है अब।
कितने दिलों में रहूं,
पहले सोचते थे सब।
कितनी ऊंची ईमारत में रहूं,
सब सोचते हैं अब।
जज़्बात की अब,
कौन कदर करता है।
बस जेब की गहराई को,
सलाम करता है।
हर ज़ज्बाती इन्सान को,
मूर्ख कहता है।
दिल तो अब पत्थर का है,
कहां घड़कता है।
जज़्बात तो अब दफ़न हो गये,
कहता है वासल देवेन्द्र।
दिल की परवाह अब कौन करता है,
दिल की परवाह अब कौन करता है।।
***
👌🏼👌🏼👌🏼
बिना बुलाए जो दोस्त,
घर में घुस आते थे।
अब बुलाने पर भी,
वो दोस्त नहीं आते।
वो जो नाम से ज़्यादा,
गाली दे कर बुलाते थे।
अब दुआ सलाम को भी
नहीं आते।
बस दूर से हिला देते हैं,
हाथ अपना।
गिला शिकवा करने भी
नहीं आते।
👆🏼
आज दोस्तिकी मजबूत दिवारोंमें दरारे ही दरारे है…
LikeLike
Excellent poem papa! So beautifully written. 👏👏👌👌
It’s the Dark truth of todays world
LikeLike
समय सब कुछ के जाता है,
बाद यादें छोड जाता है.
दोस्त तो अपने संग दोस्ती भी के जाते हैं
LikeLike
Excellent poem papa! So beautifully written. 👏👏👌👌
It’s the Dark truth of todays world.
LikeLike