कौन लगाम और कौन घोड़ी।
WRITTEN BY वासल देवेन्द्र…D.K.VASAL
कौन लगाम और कौन घोड़ी।
कई रिश्ते बना कर भेजे ख़ुदा ने,
पर इन्सान भी चतुर निकला।
एक दोस्ती का रिश्ता बनाया उसने,
जो हर रिश्ते से हसीन निकला।
ज़्यादा मैं नहीं कहूंगा कुछ,
है सोचना वासल देवेन्द्र का।
अनमोल चीज़ें होती हैं थोड़ी,
अजीब रिश्ता है ये यारों।
नही जानता कोई इसमें,
कौन लगाम और कौन घोड़ी।
तुमने कर दिया मुझे गरीब यारो,
कर प्यार से मालामाल यारो।
ये ही एक खुशी है,
जो आंसुओं से हंसती है।
बिना तुम्हारे यारो,
क्या मेरी हस्ती है।
बस अब मुझे,
कर्ज़ंदार रहने दो।
मत मांगना वापिस मुझसे,
प्यार का ये उधार।
मेरे दोस्तो मेरे यार,
बस मुझे कर्ज़दार रहने दो।
यूं भी कहां चुका पाऊंगा,
मैं प्यार का उधार।
तुमने कर दिया मुझे और ग़रीब,
दे कर ये अनमोल उधार ।
तुम खुद नहीं जानते,
इसकी कीमत क्या है।
बस दे दिया मुझको,
बिना करे हिसाब।
बादशाहों से कम नहीं हो तुम,
अनमोल हीरा हैं ख्याल तुम्हारा।
कोहिनूर से अच्छा है दिल तुम्हारा,
नही चुका पाऊंगा मैं ये कर्ज़ तुम्हारा।
मैं नहीं जानता,
है कितना असर दुआ में मेरी।
पर ऐ मेरे ख़ुदा,
बस एक ही है दुआ मेरी।
मेरे यारों पे रहे,
अच्छी नज़र तुम्हारी।
कई रिश्ते बना कर भेजे ख़ुदा ने,
पर इन्सान भी चतुर निकला।
एक दोस्ती का रिश्ता बनाया उसने,
जो हर रिश्ते से हसीन निकला।
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Beautiful lines on friendship
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Thank you Bhargav Ji.
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