मोमबत्ती… Written by वासल देवेन्द्र। D.K.Vasal
मोमबत्ती।
मोमबत्ती जिस घागे को,
दिल में बसाये रखती है।
ख़ाक कर देता है,
वो घागा ही मोमबत्ती को।
दिल में जो भी बसता है,
दर्द देता है।
बड़ा मुश्किल है समझना,
कसूर किसका है।
बसने वाले का,
यां दिल का है।
खाली रखे जो दिल ख़ुद को,
तो उदास रहता है।
बसा ले जो किसी को,
तो दर्द सहता है।
बड़ा नाज़ुक और नादान है,
हर हाल में परेशान रहता है।
दोनों की राशि भी एक है,
द से दिल द से दर्द है।
नां दिल ही छोड़ता है दर्द को,
नां दर्द ही दिल को छोड़ता है।
पा ले जो अपने को,
तो खुशी में तेज़ धड़कता है।
खो जाये जो अपना,
तो और भी तेज़ धड़कता है।
ये देख कर,वासल देवेन्द्र को,
तसल्ली मिलती है।
शायद ये ही,
ख़ुदा का असूल है।
हर अच्छी चीज़ को,
सज़ा मिलती है।
दिल के दर्द का तो,
सबब जान लिया मैंने।
वो ख्वाहिशें समेट कर रखता है,
कभी टूटने के डर से,
कभी टूटने पर बिखरता है।
मज़बूत भी होते हैं,
दिल कुछ लोगों के।
जो हंस सकते हैं,
दूसरे के ज़ख्मों पर।
भूल जाते हैं वो अक्सर,
दिल की फितरत है चंचल।
आज नहीं तो कल,
वो रुलायेगा उनको,
उनके ही ज़ख्मों पर।
हालात कुछ भी हों,
कैसे भी हों,
मेरे यां तुम्हारे हों।
दर्द मेरा हो, यां तुम्हारा हो,
रोयेगा दिल ही,
मेरा हो यां तुम्हारा हो।
मोमबत्ती जिस घागे को,
दिल में बसाये रखती है।
ख़ाक कर देता है वो,
धागा ही मोमबत्ती को।
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What a great observation by poet regarding wax and thread. Otherwise also pain is always from those who are dear and always in our Dil from whom our expectations are manifold
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Thank you Bhargav Ji.
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