ओ कृष्णा ये नैन तुम्हारे… Written by..वासल देवेन्द्र.. D.K.Vasal
ओ कृष्णा ये नैन तुम्हारे।
ओ कृष्णा ये नैन तुम्हारे,
करते हैं बेचैन ये मुझको।
छीन लिया मेरा चैन इन्होंने,
क्या बताऊं ओ मेरे कृष्णा,
क्या हाल हुआ है मेरा तुझको।
सच में थी क्या राधा बांवरी?
देखे जो हर पल नैन तुम्हारे,
फस गई वो नैनों के जाल में,
दुनिया कहे राधा थी बांवरी।
नैन तेरे जैसे मस्त शराबी,
कर इशारा बुलायें वो मुझको।
ओ वासल देवेन्द्र तू आजा,
तू भी पी ले नैनों की मस्ती।
तू भी पी ले नैनों की मस्ती।
राधा की तृष्णा थी कृष्णा,
मुझे भी पीनी है वो मस्ती।
पर जानता हूं मैं मेरे कृष्णा,
कहां राधा कहां मेरी हस्ती।
कहां राधा कहां मेरी हस्ती।
जिसने भी पीली वो मय,
हों गया मस्त बन गया शराबी।
हर किसी को पकड़ के बोले,
तू भी पी ले नैनों की मस्ती।
तू भी पी ले नैनों की मस्ती।
गोपियां भी घर छोड़ के आती,
अपने सब वो भूल कर आती।
नैनों की मस्ती में डूबने आती,
कृष्णा तूं सदियों से शरारती।
खा कर सारा माखन उनका,
मां से कहता ये झूठ हैं कहती।
नजरें तेरी हैं जादू भरी,
सूखी धरती हो जाये हरी।
उस पर बांसुरी मस्ती भरी,
एक बार तेरी बजे जो बांसुरी,
रुक जाये हवा हो मस्त खड़ी।
तेरे नैनों की बात निराली,
चुरा ले जाती काजल नैनों से,
चुपके चुपके रात वो काली।
एक बार पलक जो झपके अपनी,
झूम जाती सृष्टि ये सारी,
खो कर अपनी सुध-बुध सारी।
सृष्टि चलती तेरे नैनों से,
उसको भी नैनों की प्यास।
ज़रा झूकें तो बरखा बरसे,
ज़रा उठें आये भूचाल।
जैसे कमल कीचड़ में रहता,
ऐसे जग में नैंन तुम्हारे।
बांध जगत को मोह में अपने,
ख़ुद रहते हैं मुक्त हमेशां।
प्रार्थना है वासल देवेन्द्र की,
तूं हर पल रहे नैनों में मेरे।
अंत समय जब आये मेरा,
मैं रहूं नैनों में तेरे।
ओ कृष्णा ये नैन तुम्हारे,
करते हैं बेचैन ये मुझको।
छीन लिया मेरा चैन इन्होंने,
क्या बताऊं ओ मेरे कृष्णा,
क्या हाल हुआ है मेरा तुझको।
***