पुकार ।
पुकार।… WRITTEN BY वासल देवेन्द्र…D.K.VASAL
पुकार।
ओ ख़ुदा,
जो किस्मत में लिखा है,
वो ही दिया तो क्या दिया।
तू ख़ुदा तो तब है,
जब वो दे,
जो किस्मत में नहीं लिखा।
किस्मत में,
तो मेरे कर्मो की कमाई है।
जो वो ही दिया,
तो कहां तेरी खुद़ाई है।
पाप भी मेरे,
पुण्य भी मेरे,
अच्छे बुरे कर्म भी मेरे।
पर गिनती तेरी,
और हिसाब भी तेरा,
क्या खाते ही लिखना है काम तेरा।
कैसी ये ख़ुदाई तेरी,
तूं कैसा है ख़ुदा मेरा।
कुछ तो कर इंसाफ ख़ुदा,
जब पत्ता नहीं हिलता,
मर्जी के तेरी।
जो कुछ भी हुआ,
वो तूने किया।
फिर दोष क्यों,
मेरे सर मंड दिया।
कुछ कर्म तो,
तू भी करके दिखा।
भूल मेरे कर्मो को,
कुछ दया तू भी कर के दिखा।
कुछ तो तूं समझा ख़ुदा,
कहां तेरी करुणा,
कहां दया ख़ुदा।
बिना करुणा बिना दया के,
कैसे तूं बन गया ख़ुदा।
कभी तो तू भी,
ज़रा ज़मी पर आ।
कुछ वक्त हमारे साथ बिता,
कुछ दर्द हमारे,
सह कर देख।
नां निकले आंसू
जो आंख से तेरी।
तो सह लूंगा हर सज़ा
ओ मेरे ख़ुदा।
तूं वक्त कहां देता है हमको,
जो मन से याद करें हम तुझको।
क्या बता सकता है,
पल कोई ऐसा,
जो चिंता बिना,
जीया हो ऐसा।
कहता है वासल देवेन्द्र ,
दर्द भी मेरा,
आंसू भी मेरे,
पीड़ा भी मेरी,
ज़ख्म भी मेरे।
दुःख भी मेरा,
ग्लानि भी मेरी,
कुछ नां करुं,
शिकायत मैं,
क्या ये ही है,
इंसाफ तेरा।
और ये ही है,
कुदरत तेरी।
ढूंढता मैं भी रहता हूं,
कहां है करूणा तेरी।
कहां है दया तेरी,
जो किस्मत का लिखा ही दिया,
तो कहां है खुदाई तेरी।
तो कहां है खुदाई तेरी।
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Under all religion, God is just like super computers with no so called human or worldly feelings and sentiments. No sin is forgotten . Punishment and rewards cannot be changed nor transferable. We call it divine justice.
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But where Karuna? Where is Pardon? Where is daya.
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