ओ कृष्णा ये चरण तुम्हारे,
बांध के रखते नैन हमारे।
हो गये हम तो ऋणी तुम्हारे,
कृष्णा कृष्णा हर सांस पुकारे।
सच कहना है शास्त्रों का,
है चरणों में ब्रह्माण्ड तेरे।
तूं कर कृपा ओ कृष्ण मेरे,
रहूं हर पल मैं चरणों में तेरे।
बड़े बड़ों नें नहीं समझा,
क्या राज़ है तेरे चरणों में।
नहीं समझ पाये राजा बलि,
कैसे चरण पहुंचे तीनों लोकों में।
यमुना जी भी उमड़ पड़ी,
छुने को तेरे चरणों को।
दे दिया रास्ता पिता श्री ( वासुदेव) को,
छू कर तेरे चरणों को।
देख किस्मत कालिया नाग की,
होती जलन वासल देवेन्द्र को।
फन उसका कैसे बार बार,
छूता था हरि के चरण को।
जिसे संसार रखे सर माथे पर,
मां लक्ष्मी निकल सागर मंथन से,
आ बैठी तेरे चरणों पर।
चरण दोये ब्रह्मा ने तब,
तुम आये वामन अवतार में जब।
वो जल भरा कमंडल में जब,
हो गया जन्म गंगा का तब।
जब आये तुम राम अवतार में,
बस छू कर ही एक पत्थर को।
कर दिया मुक्त अहिल्या को।
तेरे चरणों की चाल है टेड़ी,
समझ नां आई कभी भी मेरी।
हाथ में आये जो बांसुरी तेरे,
मूरत भी तेरी हो जाये टेड़ी।
तुम भी जानते हो मेरे कृष्णा,
लीला अपने चरणों की।
खाया तीर बेली से चरणों पर,
कर मुक्ति संसार की।
सच कहते हैं शास्त्र सभी,
तेरे चरणों में ब्रह्माण्ड सभी।
है सृष्टि का आरम्भ वहीं,
और सृष्टि का है अंत वहीं।
ओ कृष्णा ये चरण तुम्हारे,
बांध कर रखते नैन हमारे।
हो गये हम तो ऋणी तुम्हारे,
कृष्णा कृष्णा हर सांस पुकारे।
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Superb poem. Well written
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