तारीफ के पुल पर।.. Written by वासल देवेन्द्र.. D.K. Vasal.तारीफ के पुल पर। चलो ज़रा सम्भल कर, तारीफ़ के पुल पर।बहती है नदी मतलब की,पुल के तल पर। फिसल ना जाना तुम कहीं, ,तुम रहो खबरदार।नही बचायेगा कोई, फिसले जो एक बार। हैं वक़्त बहुत नाज़ुक, है हवा भी बहुत तेज।यहां उड़ रहे हैं रिश्ते, ले ले कर नया वेश। Continue reading “तारीफ के पुल पर।”