रिश्तों का सच

WRITTEN BY D K VASAL–वासल देवेन्द्र रिश्तों का सच मैं सच कहता हूं, हमेशां सच कहता हूं। नहीं बोलता झूठ कभी, हैं हर पल कहते हम सभी। थामा मैंने जो एक बार, नही छोड़ूंगा फिर वो हाथ। मैं जीता हूं अपनों के लिए, मरुंगा मैं अपनों के साथ। थरथरा गया अब तो झूठ, सच होContinue reading “रिश्तों का सच”

SOLDIERS –सैनिक

WRITTEN BY D K VASAL, DEDICATED TO SOLDIERS. SOLDIERS– सैनिक वो सो गये कफ़न ओढ़ के, हम सो गए मुंह मोड़ के, थे लाडले वो भी, अपने परिवार के, जो चले गये, सब छोड़ के। वो बन बन के शव , हमें झंझोड़ते रहे, हम शव हों जैसे, ऐसे सोते रहे। देख सुबह अखबारों में,Continue reading “SOLDIERS –सैनिक”

बांसुरी

बांसुरी WRITTEN BY D. K. VASAL ( बांसुरी ) इक टुकड़ा है बांस का, हैं बस छेद ही छेद। कहां समझ पाया कोई, हर छेद में कितने भेद। “स” लगाओ कहीं से, कहीं से लगाओ “प”। यकीनन राग बजेगा, करो ना कोई संदेह। इक टुकड़ा था बांस का, था ना कोई नाम। हरि ने उठायाContinue reading “बांसुरी”

मोक्ष

WRITTEN BY D. K. VASAL — वासल देवेन्द्र ( मोक्ष ) कहा किसी ने मुझसे, कहो कवि कुछ ऐसा। हो बात कल्याण की, हो संदर्भ मोक्ष का। अहो भाग्य मेरे, नाम आया याद , फिर हरि का। है मोक्ष नही ये प्रश्न सरल, लगता है समय बतलाने में। भगवान को भी लगा समय, अर्जुन कोContinue reading “मोक्ष”

मां का कन्धा

Written by D K Vasal – वासल देवेन्द्र ( मां का कंधा ) आज बहुत याद ,आ रही है, मुझे मेरी मां की। यूं तो हरा भरा ,भरपूर है मेरा घर, सिर्फ बच्चे ही नही ,हैं बच्चों के बच्चे भी मेरे घर। नां जाने फिर ,भी क्यों, लगता है मन ,खाली खाली सा। बहुत खोजाContinue reading “मां का कन्धा”

नव वर्ष

Written by D.K.Vasal- वासल देवेन्द्र (नव वर्ष ) आयो नया वर्ष मनायें, उठो जागो, हुआ नया सवेरा, उगा सूरज, अब मिटा अंधेरा। पक्षियों ने फिर, डेरा डाला, फिर किरणों, ने आंचल पसारा। मिल कर मंगल, गीत गाएं, अपने ईश्वर को, फिर से रिझ़ाये। चुनें फिर फ़ूल, फिर माला बनाएं, अपने प्रभु के, चरणों में चढ़ाएं।Continue reading “नव वर्ष”

मैं वही हूं वही हूं वही

Written by D.k. Vasal -वासल देवेन्द्र ( मैं वही हूं, वही हूं, वही ) मैं कौन हूं ? रिश्ता नाम ,कोई भी हो, मैं वही हूं, वही हूं, वही। किसी का पुत्र ,और पिता किसी का। किसी का मित्र ,और भाई किसी का, तुम पुकारो मुझे ,किसी रिश्ते यां नाम से, मैं वही हूं, वहीContinue reading “मैं वही हूं वही हूं वही”

चोर चोर चोर

Written by D.K. Vasal…वासल देवेन्द्र चोर चोर चोर चोर चोर चोर , सभी ओर था शोर, बच्चे बूढे ,और जवान। सभी मचायें ,शोर, किसको ,अच्छा लगता है। सोचो ,शब्द ये चोर। मैंने भी देखा ,सपने में, बार बार ,इक चोर। उठ जाऊं ,घबरा कर, नां देखूं ,अगर वो चोर। रोज़ रहता है ,सपनों में, नाContinue reading “चोर चोर चोर”

मर्ज़ी का ख़ुदा

WRITTEN BY D.K VASAL–वासल देवेन्द्र मर्ज़ी का ख़ुदा हम ढूंढते हैं ,खुदा ऐसा, जो करे वैसा ,हम चाहें जैसा। ना करे कबूल ,दुआ जो, वो ख़ुदा ,बदल देते। ना माने ,फिर भी जो, तो ख़ुदा ही ,भुला देते। चाहते हैं ,करे हर कोई , दुआ हमारी ,अपने खुदा को। पर मानते , नहीं फिर भी,Continue reading “मर्ज़ी का ख़ुदा”

नमक

Written by D. K. Vasal – वासल देवेन्द्र ( नमक ) मेरे होने की, ,कोई सराहना नही करता, मेरा ना होना ,कोई बर्दाश्त नही करता। मेरा ज़रा भी ,ज़्यादा होना, बहुत अखरता है। मेरा ना होना ,कोई सहन नही करता, शायद मैं ,भूल रहा हूं, सिर्फ रंग सफेद ,होने से कुछ नही ,होता है। मैंContinue reading “नमक”

पानी

Written by D. K. Vasal — वासल देवेन्द्र (पानी) हिंदी में जल, संस्कृत में पानी, है मेरा प्रणाम उसको। रखा जिसने पानी का, नाम पानी। पा से पावन ,नी से नीरद ,( जल देने वाला मेघ ) है बिना गंध पारदर्शी पानी। रखता नही कोई रंग पानी, क्या सच में है बेरंग पानी। मैं नहीContinue reading “पानी”

धुंध

Written by D K Vasal – देवेन्द्र वासल ( धुंध ) दिखती है धुंध ,हर तरफ, हैं धुंआ ही धुआं ,हर तरफ। हैं मौसम की शरारत, इन्सान की बेगैरत, यां सिर्फ नज़र का धोखा। देखा है मैंने इन्सान वो, था जो इन्सान की तरहां। अब रहता है छिपा पर्दों में, यां मद के आगोश में,Continue reading “धुंध”

अक्षर ढाई

Written by D.k.Vasal-वासल देवेन्द्र ( अक्षर ढाई ) Original Author. ज्ञान मार्ग जब ,खोजने निकला, मार्ग मिला ,अलबेला। जहां भी जाऊं ,जिधर भी देखूं, मिले ढाई अक्षर , का मेला। सोचा इक पल ,ध्यान लगा कर क्या होता है ,अक्षर ढाई जो आया समझ में, वासल देवेन्द्र के ( Original Author) बतलाता हूं ,मैं वोContinue reading “अक्षर ढाई”

अभी जिंदा हूं मैं

Vasaldk.blogspot.com हटाते हैं मेरा नाम जो        ,कविता से मेरी,हैं जान बहुत                   ,अभी कलम में मेरी।रहे उनको ये एहसास        ,अभी जिंदा हूं मैं। फिर करो कोशिश              ,मुझे भुलाने की,हो तुम को भी एहसास        ,अभी जिंदा हूं मैं।थका दिया मैंने वक़्त को      ,पर थका नही,हो वक़्त को भी एहसास      ,अभी जिंदा हूं मैं। गैरों से ज़्यादा अपनोंContinue reading “अभी जिंदा हूं मैं”